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क्या पता है…

मूल कवि : उत्तम कांबळे
डॉ. कोल्हारे दत्ता रत्नाकर

क्या पता…
नई सदी का मनुष्य
संगणक के कंधे पर
सिर रख कर
अंतिम साँस ले।
दयालु संगणक
अंतराल में, मनुष्य की कब्र के पास
शोकसभा ले।
शोकप्रस्ताव पारित कर
आत्मीय भाषण भी दे।

"पृथ्वी पर रहने वाली
मनुष्य नाम जाति
कितनी जुझारू थी,
कितनी गूढ़ थी
वह अत्यंत लड़ाकू भी थी
वह धर्म के लिए लड़ी
वह जाति के लिए लड़ी
प्रदेश और पंथ के लिए भी लड़ी
दुःख बस इस बात का है कि
वह मनुष्यता के लिए
कभी नहीं लड़ी।
समस्त संगणक बंधुओं को
अब हमारा नम्र निवेदन
उन्हें
मनुष्य द्वारा प्राप्त बुद्धि का
दयालुवृत्ति से प्रयोग करें।
मनुष्यता के लिए लड़ें
ऐसे मनुष्य को दुबारा
जन्म देने का
प्रमाणिक प्रयत्न करें।
नामशेष होने वाले
मनुष्य प्राणी को
यही सच्ची श्रद्धांजलि।"

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