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माँ की व्यथा

आज यह कड़ा निर्णय लेते हुए निकुंज की आँखों के सामने उसकी पूरी ज़िंदगी एक चलचित्र की भाँति घूम गई। उसे आज भी याद है वह शाम जब मम्मी-पापा ने उसे उसकी ज़िन्दगी से परिचित कराया था कि वह एक हिजड़ा है। पर यह सब बताने से पहले ही उसे इतना सशक्त बना दिया था कि यह बात उसे अपने लक्ष्य से हिला न सकी। उसने कड़ा निर्णय लिया कि वह अपने माता-पिता को उनकी इस मेहनत का फल अपनी मेहनत से देगी। और एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी पाकर सपना पूरा किया। वहीं तो उसकी मुलाक़ात अभय से हुई थी और कब प्यार हो गया पता ही न चला और निकुंज के बारे में सब पता चलने के बाद भी अभय का फ़ैसला न बदला। दोनों का विवाह हो गया, कुछ समय पश्चात उन्होंने निलेश को गोद ले लिया। कितना अच्छा जीवन बीत रहा था कि... निलेश बारह साल का ही तो था कि अभय का अकस्मात निधन हो गया, पर निकुंज ने हिम्मत न हारी...।

....अब वह समय आ गया है कि निलेश को सब कुछ बता दिया जाए, क्योंकि अब वह अट्ठारह बरस का हो गया है।

....पर, निलेश यह सुनते ही चिल्ला पड़ा!

....मतलब मैं अनाथ हूँ और तुम एक हिजड़ा...!

....एक हिजड़े के हाथों मेरा पालन-पोषण...छी...!

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