शाम सुहानी
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत मोहम्मद जहाँगीर ’जहान’1 Apr 2020 (अंक: 153, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
मेरी शाम सुहानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई अच्छी सी
कोई सच्ची सी
जो गुज़री हो
कोई लम्बी सी
वही बात पुरानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई सुख का हो
कोई दुःख का हो
जो नयन में अश्रु
बन छलका हो
मेरी आँख का पानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई खेतों की
कोई हाटों की
कोई पनघट की
कोई घाटों की
तेरी अपनी बिरानी हो जाये
नानी एक कहानी हो जाये
कोई मौसी की
कोई मामा की
हो राधा की
या कान्हा की
कथ्य अल्हड़ जवानी हो जाये
नानी बस एक कहानी हो जाये
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
गीत-नवगीत | स्व. राकेश खण्डेलवालविदित नहीं लेखनी उँगलियों का कल साथ निभाये…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
नज़्म
गीत-नवगीत
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं