ये धूपछाँव क्या है ये रोज़ोशब क्या है
शायरी | ग़ज़ल डॉ. विजय कुमार सुखवानी3 May 2012
ये धूपछाँव क्या है ये रोज़ोशब क्या है
आखिर इस ज़िंदगी का सबब क्या है
मैं भी हूँ एक इंसाँ तू भी है एक इंसाँ
फिर ये कौम क्या है ये मज़हब क्या है
जब एक ही जमीं है और एक आसमाँ है
फिर ये तेरा रब क्या है मेरा रब क्या है
जो हो चुका है वो सबको पता है लेकिन
ये कौन जानता है कि होना कब क्या है
जब साथ इंसाँ के कुछ भी नहीं है जाता
इस तमाम भाग दौड़ का मतलब क्या है
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