चंदा मामा दूर के
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता वेदांत तिवारी15 Mar 2024 (अंक: 249, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
चंदा मामा दूर के,
‘प्रज्ञान’ देगा जानकारी ढूँढ़ के
जब तिरंगा चाँद पर फहराएगा,
तब वैज्ञानिकों की मेहनत में
अपने आप रंग भर जाएगा।
चंद्रयान-2 की असफलता पर
जिन्होंने हमारा मज़ाक़ उड़ाया है,
आज उनकी आँखों में
‘आई फ़्लू’ उमड़ आया है
जब दुनिया ने कहा तुमसे न हो पायेगा,
लेकिन मुझे विश्वास था कि मेरा भारत
शून्य से चंद्रयान तक पहुँच जाएगा।
उस वक़्त चाँद की रोशनी भी शरमाई है,
जब उसे पता चला कि यह सफलता
दीपक की रोशनी में पढ़ने वालों ने पाई है।
अरे! ग़ुरूर तो होगा ही मुझे भारतवासी होने का,
लोगों से छह सौ पन्द्रह करोड़ में फ़िल्म नहीं बनती,
हमने तो चंद्रयान बनाया है।
इस मिशन की कहानी तो तब पूरी होती है,
जब दुनिया को यह संदेश मिलता है कि
जीत धैर्य रखने वालों की होती है।
ये दुनिया कर ले प्रयास
कितने भी हमें हराने के,
हमारे पास तो कई बहाने हैं
तिरंगे को फहराने के।
धन्यवाद देता हूँ उन सभी को
जिनकी मेहनत हैं रंग लाई,
उनकी आँखों की देख चमक
मेरी आँखें भी भर आई।
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