गुरुजी आओ
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई1 Jul 2022 (अंक: 208, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
कब आओगे,
ले गुरु अवतार,
पूछे संसार॥
है हर पल,
गुरु बिन उदास,
तेरी है प्यास?
रूठता नहीं,
बहारों में है यहीं,
रहते कहीं॥
तेरी याद है,
तेरी ओर है नैना,
बीतती रैना॥
संत विचारै,
वो आरती उतारे,
वाणी उचारै॥
गावै भजन,
करते सब यत्न,
यही जतन॥
गाती है साखी,
सब भक्तों ने गाई,
पार है पाई॥
आओ गुरुजी,
हमें पर्चा दिखाओ,
वाणी सुनाओ॥
करे काम सारै,
भवपार है उतारै,
दुष्ट संहारै॥
है पृथ्वीसिंह,
इंतज़ार में थारै,
नियम धारै॥
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टिप्पणियाँ
अमन 2022/06/29 07:53 PM
बहुत बढ़िया रचना। आभार कवि पृथ्वी जी
सुमनलता 2022/07/01 09:00 AM
सुंदरतम रचना।