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इक्कीसवीं सदी और हम भारत के लोग

 

भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। लोकतंत्र की परंपरा अत्यंत प्राचीन काल से चली आ रही है। जब यह शताब्दी शुरू हुई, तो प्रजातंत्र केवल कुछ ही देशों में प्रचलित था। उनमें भी वह कुछ उच्च वर्गाें के लोगों तक सीमित था। आज कुछ ही देश हैं, जहाँ प्रजातंत्र नहीं है। दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं, जहाँ के लोग प्रजातंत्र नहीं चाहते। आइए, हम भारत के प्रजातंत्र को बलशाली बनाएँ। दुनिया के अन्य देशों के लिए इसे आदर्श बनाएँ। राजनीतिक प्रजातंत्र, आर्थिक और सामाजिक प्रजातंत्र को साथ लेकर चलें। 

हम सब, जहाँ भी तैनात हों, और जिस काम में भी लगे हों, उसे अच्छी तरह से निभाएँ। देश व समाज के किसी भी अंग को निर्बल न होने दें। जिस प्रभावशाली तरीक़े से हमने विभिन्न संकटों और चुनौतियों का सामना किया है, उससे स्पष्ट है कि अगर हम ठान ले तो भारत क्या नहीं कर सकता। ज़रूरत केवल इस बात की है कि जो कुछ करना है, वह अब करके दिखाएँ। मेरे दिमाग़ में ऐसे भारत की तस्वीर है, जहाँ न भूख होगी, न भय होगा, न निरक्षरता होगी, न निर्धनता होगी। मैं ऐसे भारत की कल्पना करता हूँ, जो सम्पन्न हो, सुदृढ़ हो, संवेदनशील हो तथा जो विश्व के महान राष्ट्रों के बीच फिर से अपना आदर का स्थान प्राप्त करे।     

हम ऐसे भारत का निर्माण करें, जिसमें दलित, आदिवासी तथा पिछड़ा वर्ग अपने को आर्थिक रूप से वंचित महसूस न करे, वे सामाजिक न्याय का भी पूरा लाभ पाएँ। समता, ममता और सामाजिक समरसता के रास्ते पर चलकर हम इस आदर्श लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। आइए, हम एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिसमें हमारी नारी शक्ति अपने परिवारों के भविष्य सँवारने से लेकर देश का भविष्य सँवारने तक के सारे कार्याें में अपना पूरा योगदान दे। यह हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि हम उन्हें आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक तथा राजनीतिक अधिकार प्रदान करें। 

हम ऐसे भारत का निर्माण करें, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को राष्ट्र के विकास का पूरा लाभ मिले और उन्हें पूरा अवसर मिले, ताकि वे राष्ट्रीय विकास में अपना पूर्ण योगदान दे सकें। देश सभी का है, क़ानून और सरकार की नज़र में सब बराबर है और उनके साथ समान व्यवहार होगा। भारत एक सेक्युलर देश है, जिसे सर्व पंथ समभाव का सिद्धांत घुट्टी में मिला है। वहाँ सभी समुदाय के लागों का धार्मिक स्वतंत्रता है। यह भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है कि यहाँ विश्व के सभी धर्मों के लोग सद्भावना के साथ रहते हैं। विविधता में एकता हमारी अनमोल धरोहर है। 

हम भारत को ऐसा राष्ट्र बनाएँ, जहाँ हर क्षेत्र में बड़ी सफलताएँ हासिल हों। व्यापार तथा आर्थिक क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान और टेक्नॉलोजी के क्षेत्र में कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में तथा खेल के क्षत्र में भी हम बड़ी सफलताएँ हासिल करें। हम मिलकर भारत को सफलता का पर्याय बना दें, ऐसी उपलब्धि जिसकी पूरा विश्व प्रशंसा करे। 

हम एक परिश्रमी भारत, पराक्रमी भारत, विजयी भारत का निर्माण करें। हम इस सपने को साकार करने के लिए नकारात्मक सोच के दलदल में से निकलें। हम भूतजीवी न बनें। हम भविष्य की ओर देखें। विश्वास के साथ मंज़िल की ओर आगे बढ़े। समस्याओं का हल ढूँढ़ें। हमें उज्जवल अतीत से प्रेरणा लेकर उज्जवल भविष्य के निर्माण के लिए संकल्प लेना है। हम एक सनातन संस्कृति और गौरवपूर्ण सभ्यता के उत्तराधिकारी हैं। महानता हमारा अतीत भी है और भविष्य भी। 

हम मातृभूमि भारत के सभी प्राकृतिक और मानव संसाधनों का सदुपयोग कर, 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने का संकल्प करें।

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