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परिवेश पर एक चिंतनपरक दृष्टि: मुखाग्नि तथा अन्य कहानियाँ

समीक्षित पुस्तक: मुखाग्नि तथा अन्य कहानियाँ (कहानी संग्रह)
लेखक: डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र
प्रकाशक: राज पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली 
प्रकाशन वर्ष: 2021
संस्करण: प्रथम
मूल्य: ₹450/-

‘मुखाग्नि तथा अन्य कहानियाँ’ डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र की कहानियों का एक अनूठा गुलदस्ता है, जिसमें समाजिक घटनाक्रम की विभिन्न मनःस्थितियों का सुवास उपस्थित है। मनोज जी एक सुपरिचित और महत्त्वपूर्ण साहित्यकार हैं जिन्होंने कविता, कहानी और उपन्यास इत्यादि सभी में अपनी लेखनी की चमक बिखेरी है एवं शानदार उपस्थिति दर्ज कराई है। 

इस कहानी संग्रह में उनकी पहली कहानी ‘नारद के हाथ में मोबाइल’ मन को उद्वेलित करती है, चौंकाती है। फिर तो ऐसी उत्कंठा जागृत होती है कि पाठक उनके इस संग्रह के शेष बची दस कहानियों के पठन में डूबता चला जाता है, तन्मयता की तंद्रा भंग ही नहीं होती। 

‘गुड बाय मैं ख़ुश हूँ’ जीवन के परिस्थितिजन्य विसंगतियों की मर्मस्पर्शी कहानी है। कहानी संग्रह की शीर्षक कहानी हमारे समाज की ज्वलंत समस्या है। पर इस कहानी में और अन्य कहानियों में भी कहानीकार ने समाज में फैली हुई सामाजिक कुरीतियों, रूढ़ियों और मानवीय जीवन-मूल्य के उत्तरोत्तर क्षरण के प्रति भी हमें चेताया है एवं ध्यानाकर्षित किया है। मोक्षेन्द्र जी की कहानियों में एक-साथ कई संदेश दृष्टिगोचर होते हैं। 

‘हरजाना’ कहानी यथार्थ और बेहतरीन संदेश का समुच्चय है। कहानी एक नयी दृष्टि से सोचने पर हमें दृढ़प्रतिज्ञ करती है। 

इस संग्रह की अंतिम कहानी ‘एक अतृप्ता का हलफनामा’ इस बदलते हुए यांत्रिक युग में अन्तर्मन को कहीं गहरे मथती है, आंदोलित करती है। आज के सेलुलर समाज के यथार्थ से रूबरू कराती है। 

इस संग्रह की अन्य कहानियाँ ‘ऐसे-वैसे रिश्ते’, ‘ठंडा प्रतिशोध’, ‘घातक एतराज’, ‘सब कुछ हिंदुस्तानी’ उल्लेखनीय कहानियों की तरह उच्चस्तरीय हैं और बेहतर संदेश देती हैं, सोचने को विवश करती हैं। 

‘संतगिरी’ का पाखंड और ‘चौधरीनामा’ कहानियाँ आज के समाज का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत करती हैं। अपने-अपने परिवेश के कटु एवं गहरी सच्चाई को उजागर करती हैं। 

इन सभी कहानियों में हमारे समाज और उसके इर्द-गिर्द फैले हुए परिवेश पर एक चिंतनपरक दृष्टि डाली गयी है और गहन अन्वेषण से महत्त्वपूर्ण विषयों पर रचनात्मकता प्रदान की गई है। 

डॉ. मनोज मोक्षेन्द्र जी को इस अत्यंत महत्त्वपूर्ण कहानी संग्रह के लिए आत्मीय साधुवाद और हार्दिक शुभकामनाएँ। 

रविशंकर शुक्ल
कृष्णायन, एम-2/67, 
जवाहर विहार कालोनी, 
रायबरेली-229010
मो. फोन नंबर
8707020053

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