फूल
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता हरीश सेठी ‘झिलमिल’1 Mar 2025 (अंक: 272, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
सुंदर-सुंदर फूल खिले हैं।
आपस में सब हिले-मिले हैं॥
फूलों की है सुंदर क्यारी।
आभा इनकी लगती न्यारी॥
आपस में सब ये बतियाते।
मंद-मंद सारे मुस्काते॥
सबको सुंदर पाठ पढ़ाते।
सीख मनोहर ये दे जाते॥
फूलों जैसे तुम मुस्काना।
और सभी को सुख पहुँचाना॥
काँटों से तुम मत घबराना।
हरदम अपना फ़र्ज़ निभाना॥
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