सफलता
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता जागृति शुक्ला1 Mar 2025 (अंक: 272, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
कुछ पाने की चाहत में,
इधर-उधर हैं हम भटकते।
मन में लेकर सफलता की आस,
अब जीवन के हैं दिन कटते॥
जीवन की सुख-सुविधा ख़ातिर,
हो जाती है अपनों से दूरी।
साथ में है परिवार का बोझ,
ज़िंदगी सफलता बिन लगे अधूरी॥
कहते हैं ज्ञानी, लक्ष्य की ख़ातिर,
थोड़े दिन करना पड़ता है तप।
बड़ी सफलता पाने की ख़ातिर,
कठिन परिश्रम ही है जप॥
बड़ी अजीब होती ये दुनिया,
बिन सफलता सम्मान न देती।
मिलती जब हमको कामयाबी,
हर जगह हमारा नाम है लेती॥
बच्चो, श्रेष्ठ बात यह मानो,
अनुशासन की क़ीमत पहचानो।
सही समय और सही लक्ष्य चुन,
पूरा करने की ज़िद तुम ठानो॥
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