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सत्यम् वद: धर्मम् चर:

दानवीर कर्ण ने जीवन में जो सीखा वह विद्या नहीं अपितु वेद है। कैसे? आइए जानेंगे।

कर्ण जन्म से क्षत्रिय था। दानवीर के साथ श्रेष्ठ धनुर्धर भी था। किंतु दुर्भाग्य यही था कि उसके लिए कोई गुरु नहीं मिले। गुरु द्रोणाचार्य ने उसको अपने शिष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया था। व्याकुल कर्ण गुरु कृपाचार्य से मिलने एक दिन भोर में चले।

उसने देखा कि गुरु कृपाचार्य शिक्षा के उपरांत अपने शिष्यों से परीक्षा ले रहे थे। गुरु की आज्ञा यह थी कि आकाश में उड़ते पक्षी पर निशाना साधना है। अर्जुन आया और एक ही तीर से पक्षी को धराशायी करते हुए रथ पर आरूढ़ वहाँ से निकल गया। सब की बारी आई थी। किसीका निशाना लगा और किसी का छूटा। कर्ण इन सारे दृश्यों को देखकर खड़ा हुआ था। गुरु कृपाचार्य कर्ण को पास बुलाकर वही परीक्षा लेने लगे जो अन्य वीरों से ली गयी थी। तूणीर से बाण निकालकर धुँधले आकाश में उड़ते पक्षी पर प्रत्यंचा छोड़ाना तो दूर कर्ण ने झटपट बाण को नीचे रख दिया।

श्रेष्ठ धनुर्धर कर्ण की इस अप्रत्याशित घटना से चकित गुरु ने पूछा, "आख़िर तुमने ऐसा क्यों किया?"

"गुरुश्रेष्ठ, अब तो सूर्योदय है। पिंजरे से पक्षी बाहर निकलता है तो निश्चित रूप से अपने बच्चों को दाना ढूँढ़ने के लिए निकलता होगा। अपनी प्रतिभा को सिद्ध करने के लिए जब इस पक्षी को मार गिराऊँगा मैं ज़रूर श्रेष्ठ कहलाऊँगा। किंतु उसके बच्चे भूखे रहेंगे और माँ के बिना अनाथ भी हो जाएँगे। इसलिए उस पक्षी को मारना मैंने उचित नहीं समझा। क्षमायाचना चाहता हूँ गुरुवर।"

कर्ण की ओर अपनी वात्सल्यता बरसाते हुए गुरुश्रेष्ठ कहने लगे, "हे दानवीर कर्ण! जीवन में जो तुमने सीखा है वह केवल विद्या नहीं बल्कि वेद है। तुम्हारे इस व्यवहार ने मुझे अत्यधिक प्रसन्न कर दिया। सदैव मेरा आशीर्वाद तुम पर बना रहेगा।"

धन दौलत, उपाधि, अधिकार ये सारी उपलब्धियों से इंसान अपने आपको बलवान समझता है, जिस बल का प्रयोग दुर्बलों तथा अपने प्रियजनों पर दिखाना मूर्खता है। आज हमारे पास सब कुछ हो सकता है। मगर जीवन के कल का निर्णय केवल परमात्मा के द्वारा ही संभव है। महावीर कर्ण का यह व्यवहार ज़िन्दगी के इस महत्व को दर्शाता है—सत्यम् वद: धर्मम् चर:। 

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टिप्पणियाँ

नागराजन सी 2022/01/24 08:24 PM

आपके कथा साहित्य ने इसे साबित कर दिया है कि महारथी कर्ण युद्धवीर और दानवीर मात्र नहीं वे सर्वश्रेष्ठ दयावीर भी हैं । बहुत खूब महोदया ।

Dr Padmavathi 2022/01/24 06:38 PM

बहुत बधाई महोदया । जीवन का अनुकरणीय पाठ । बधाई और शुभकामनाएँ

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