तिरंगा
बाल साहित्य | किशोर साहित्य लघुकथा विकास बिश्नोई15 Aug 2022 (अंक: 211, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
“विजय ना जाने क्यों झंडे की ही पूजा करते मिलता है, उसे कभी किसी देवता की पूजा करते मैंने नहीं देखा,” रवि ने संजय से हैरानी से पूछा।
“हाँ भाई, मैंने भी देखा है ये तो, चलो विजय से ही चलकर पूछ लिया जाए की ऐसा इस झंडे में क्या है?” संजय ने कहा।
दोनों ने जाकर विजय से पूछा, “भाई इस झंडे में ऐसा क्या है, जो तुम इसकी पूजा करते हो, हमें भी तो बताओ।”
विजय ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “यह झंडा नहीं, हम सबकी आन बान शान है। यह हमें क्या कुछ नहीं सिखाता!”
दोनों ने फिर अचरज से पूछा, “इस झंडे से भला क्या सीखने को मिलता है?”
विजय ने बताया कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के तीनों रंग अलग अलग शिक्षा प्रदान करते हैं, आओ मैं बताता हूँ तुम्हें। केसरिया रंग जहाँ साहस, बलिदान, अध्यात्म एवं ऊर्जा का प्रतीक है और राष्ट्र के प्रति हिम्मत और निःस्वार्थ भावनाओं को रख सब लोगों में एकता बनाए रखने की शिक्षा देता है। वहीं सफ़ेद रंग सच्चाई, शान्ति, पवित्रता और ईमानदारी की निशानी है, जो हमें सच्चाई की राह पर चलने की शिक्षा देता है। तिरंगे का तीसरा यानी हरा रंग विश्वास, उर्वरता, ख़ुशहाली, समृद्धि और प्रगति का प्रतीक है। विजय ने ये बताते हुए उनसे पूछा, “तो बताओ क्यों ना करूँ मैं अपने तिरंगे की पूजा। मैं इसे सर्वोपरि मानता हूँ।”
रवि और संजय दोनों ने तिरंगे पर गर्व करते हुए उत्तर दिया, “अच्छा ये है मेरे तिरंगे की ख़ासियत!”
विजय ने कहा, “मेरा नहीं हम सबका तिरंगा।”
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टिप्पणियाँ
संजय 2022/08/15 09:08 AM
बहुत सुंदर । जय हिन्द जय भारत
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Aman 2022/08/15 09:09 AM
जय हिन्द