पीपल की पुकार
कथा साहित्य | लघुकथा विकास बिश्नोई1 Jan 2024 (अंक: 244, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
“दादी माँ दादी माँ, आपके लिए गाँव से चिट्ठी आई है,” 10 साल के पोते राहुल ने अपनी दादी को पुकारते हुए कहा।
“मेरे लिए चिट्ठी, भला किसने लिख दी!” दादी ने अचंभित होकर कहा।
“पता नहीं, अभी एक भैया चिट्ठी देकर गए,” राहुल ने उत्तर दिया।
दादी माँ ने चिट्ठी देखी तो गाँव के सबसे पुराने पीपल के पेड़ की चिट्ठी थी। अपनी व्यथा सुनाते हुए पीपल के पेड़ ने लिखा था, “मेरी बहन, तुमने मुझे राखी बाँधी थी ना, आज मुझे तुम्हारी ज़रूरत है। तुम्हारा बेटा तुम्हें शहर ले गया, हो सके तो गाँव वापस आकर मुझे बचा लो। आज यहाँ कुछ लोग पास के एक शहर से आए। मेरी छाँव में बैठकर हाईवे बनाने के लिए मुझे काटने की बात कर रहे थे। बहुत से पेड़ों को तो काट भी दिया है। मैं फिर भी अपनी ज़िन्दगी लगभग जी चुका। मुझे मुझसे ज़्यादा चिंता मुझपर रहने वाले छोटे-बड़े पक्षियों की है, उनका क्या होगा? वो सब बेघर हो जाएँगे। इसलिए हो सके तो गाँव लौटकर इन लोगों को रोक लेना मेरी बहन।”
पत्र पढ़कर दादी माँ की आँखें आँसू से भर गई और वह गाँव की ओर रवाना हो गई।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
लघुकथा
किशोर साहित्य लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं