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दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप'

निवास : आनंद नगर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
प्रकाशन : देश भर के अनेक समाचार पत्रों में हास्य-व्यंग्य, कवितायेँ, कहानी समसामयिक विषयों पर आलेख। आध्यात्म विषयों पर चिंतन तथा संपादकीय प्रकाशित
विभिन्न समाचारपत्रों में संपादन कार्य का भी अनुभव
रुचियाँ : प्रात: योगासन, ध्यान और प्रार्थना करना। श्रीगीता और वाल्मीकि रामायण का श्रद्धा पूर्वक अध्ययन करना तथा लेखन कार्य करना।
आत्मकथ्य :    
मेरा बचपन से ही आध्यात्म की तरह रुझान रहा है और मेरा मानना है की भारतीय आध्यात्म में ही केवल व्यक्ति के मन को शांति प्रदान करने की शक्ति है। विश्व में चल रही किसी भी विचारधारा से कोई प्रतिबद्धता नहीं है। साथ ही यह भी मानना है की धर्म का मतलब ही भ्रम है और किसके नाम पर लोगों को ऐसे कर्मकांडों में लगाया जाता है जिनका कोई तार्किक आधार नहीं है। लोग कहते हैं की सब धर्मों का सम्मान करना चाहिए पर मेरा मानना है की सब धर्मों का पुनर्वालोकन किया जाना चाहिए कि उनका उद्देश्य विश्व में शांति करना है या समूचे मानव समाज की शक्ति कुछ तथाकथित धर्म के ठेकेदारों के हाथ में सौंपना है। लोगों को खुलकर जीना चाहिए। धर्म और आध्यात्म दो अलग-अलग विषय हैं ऐसी मेरी मान्यता है।
 ब्लॉग : 

इन ब्लोग पर नियमित रूप से लेखन कार्य कर रहा हूँ।

 

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