शिक्षा:
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स्नातकोत्तर (1) हिन्दी, (2) दर्शनशास्त्र, (3) संस्कृत
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एम.फिल (दर्शनशास्त्र)
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पीएच.डी. (दर्शनशास्त्र)
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यूजीसी नेट: (1) दर्शनशास्त्र, (2) धार्मिक अध्ययन, (3) जैन-बौद्ध-गाँधी व शान्ति अध्ययन, (4) दर्शनशास्त्र
साहित्यिक गतिविधियाँ:
लेखक परिचय लेखक का जन्म एक किसान परिवार में 22 दिसंबर 1965 में हुआ। लेखक ने अपनी शिक्षा की शुरूआत गाँव के ही विद्यालय से शुरू करके उसमानिया विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से संपन्न की। लेखक महान दार्शनिक एवं रहस्यदर्शियों ऋषि दयानंद, योगिराज अरविंद, जिद्दू कृष्णमूर्ति आदि की योग-साधना में पारंगत तथा सनातन भारतीय हिंदू योग-साधना का कई वर्ष तक हिमालय के योगियों के मार्गदर्शन में योग-साधना किए हुए हैं। लेखक ने कई महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया है। इस समय लेखक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत ‘दर्शन शास्त्र विभाग’ में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत हैं। लेखक ने बचपन से ही लेखन-कार्य शुरू कर दिया था। अब तक इन द्वारा पचास (50) पुस्तकों का लेखन हो चुका है जिनमें से सैंतालीस (47) प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा गीता का भाष्य लिखने में व्यस्त है जिसके छह भाग पूरे हो चुके हैं।
प्रकाशित कृतियाँ:
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एक वैज्ञानिक संत स्वामी विवेकानंद
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अधखिले कमल
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अन्नदाता भारतीय किसान
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भगवान का गीत (हरियाणवी गीता)
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अमृतकलश-धनपत सिंह निंदाणा (ग्रंथावली)
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लूट सके तो लूट (सार्वभौम दर्शन)
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हरियाणवी लोकसाहित्य में दर्शन की अवधारणा:पं। लखमीचंद व बाजे भगत के संदर्भ में
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राष्ट्रनायक: हमारा हरियाणा, विकसित हरियाणा (महाकाव्य)
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ढाई आखर प्रेम का
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मुक्तिदाता चौधरी छोटूराम
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प्रेम की झील में विश्वासघात के काँटे (प्रेम का दर्शन)
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प्रेम-सरोवर (प्रेम का दर्शन)
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प्रेम-पूजा (प्रेम का दर्शन)
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प्रेम से प्रेम तक (प्रेम का दर्शन)
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प्रेम की पाती (प्रेम का दर्शन)
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दर्शन-ज्योति (दार्शनिक शोध-लेख संग्रह)
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मैं श्री कृष्ण बोल रहा हूँ!
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समकालीन दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति के दर्शन में ध्यान की अवधारणा का समीक्षात्मक अध्ययन
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ओशो ब्रह्मसरोवर (भाग-एक)
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हरियाणवी लोककाव्य में दर्शन की अवधारणा (दार्शनिक शोध-लेख संग्रह)
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सनातन भारतीय योग-साधना एवं इसकी विभिन्न ध्यान विधियाँ
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भारतीय दर्शन की सनातन परंपरा
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भारतीय-दर्शन के विविध आयाम
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भारतीय-दर्शन एवं हरियाणवी लोक जीवन
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व्यावहारिक दर्शनशास्त्र
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आज का दर्शनशास्त्र
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जागो भारत (Philosophy of Nation)
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वैदिक प्रार्थना
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भगवान बुद्ध का आर्य वैदिक सनातन हिन्दू दर्शन
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विश्वगुरु आर्यावर्त भारत (इस पुस्तक में 12000 पद, 45000 पंक्तियाँ तथा 250000 शब्द तथा 1572 पृष्ठ मौजूद हैं। यह दुनियां का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
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दर्शनशास्त्र
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आख्यां देखी (हरियाणवी नाटक)
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अथातो भारतीय दर्शन शास्त्र जिज्ञासा
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प्रेम राक्षसी
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पं. लखमीचंद के सांगो का दार्शनिक विवेचन (दर्शन)
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भगवान बुद्ध एवं बौद्ध दर्शन
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पं. दीनदयाल उपाध्याय का जीवन एवं जीवन दर्शन
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प्रेम पाखंड
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जागो हिन्दू
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हरियाणवी लोक-कवि पंडित लखमीचन्द का “समाज दर्शन” (Social Philosophy of Pt. Lakhamichand) (तथ्य भ्रम एवं समाधान)
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ब्रह्मज्ञानी कौन? पं. लखमीचंद, दादा बस्ती राम या बाजेभगत
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भाजपा के गाँधी पंडित दीनदयाल उपाध्याय (भाग-एक)
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भाजपा के गाँधी पंडित दीनदयाल उपाध्याय (भाग-दो)
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हरियाणवी योगसूत्र
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हरियाणवी लोक-कवि पंडित लखमीचन्द का दार्शनिक अध्ययन (Philosophical Thoughts of Pt. Lakhamichand) (तथ्य भ्रम एवं समाधान)
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जीवन-दर्शन एवं संस्कृति
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जगद्गुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती वाणी दर्शनामृत (इस पुस्तक में आठ सौ पृष्ठ मौजूद हैं)
विशेष: लेखक हरियाणवी भाषा के भी प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं आलोचक हैं। काव्य, आलोचना, दर्शन एवं योग में लेखक की गति विस्मकारी है। सनातन भारतीय आर्य हिंदू वैदिक संस्कृति, योग, दर्शन, जीवन-मूल्यों तथा राष्ट्र भाषा के प्रति लेखक की असीम श्रद्धा है तथा इनके प्रचार-प्रसार हेतु ये सतत् कार्यरत हैं। इसके साथ लेखक दस (11) अंतरराष्ट्रीय रैफरीड रिसर्च जर्नल्स के संपादक हैं। इन जर्नल्स के नाम हैं-‘चिन्तन’, ‘प्रमाण’, ‘द्रष्टा’, ‘दर्शन’, आर्य, हिन्दू, ‘स्वदेशी’, ‘ABSURD’, AWARENESS’, ‘JUSTICE’ एवं ‘VISION’। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल्स में लेखक के सौ (100) शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों में भी लेखक के 300 के लगभग लेख प्रकाशित हो चुके हैं। इस समय लेखक अध्यापन के साथ-साथ योगाभ्यास करवाने, लेखन करने, राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार करने तथा सनातन भारतीय जीवन-मूल्यों की प्रासंगिकता को समस्त जगत् को समझाने हेतु कार्यरत हैं। हिन्दी भाषा के प्रसार-प्रचार के लिए वर्ष 2011 से आचार्य अकादमी चुलियाणा की स्थापना कर हर साल 1. ‘श्रीमती हेमलता’ हिन्दी साहित्य (गद्य, पद्यादि) पुरस्कार 2. ‘स्वामी दयानन्द सरस्वती’ दर्शनशास्त्र पुरस्कार 3. ‘श्रीराम शर्मा आचार्य’ संस्कृति, धर्म, व जीवन मूल्य पुरस्कार 4. ‘राजीव भाई दीक्षित’ विज्ञान पुरस्कार हर साल दिए जाते हैं। वैदिक योगशाला की स्थापना कर सुबह-शाम निशूल्क योग भी करवाते हैं।
लेखक की कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं