अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

हिन्दू कॉलेज में नाटक 'गज फुट इंच' का मंचन

सामूहिकता और सामुदायिकता के लिए रंगमंच आवश्यक: डॉ. पल्लव 

नई दिल्ली। 

“मन, अरमान, लालसाएँ, उम्र की तलब सबके पास होती हैं। मेरे पास भी हैं। पर किस क़ीमत पर? जब-जब कुछ कहना चाहा है, सबने मज़ाक उड़ाया है। क्यों? क्योंकि सब आगे बढ़ गए हैं और मैं उसी गद्दी पर हूँ जहाँ मेरे अनपढ़ बाप दादा बैठते थे। सच मानो जुगनी, आज के मीटर सेंटीमीटर के युग में मैं वही पुराना गज, फुट, इंच हूँ जिसे लोग कब का भूल चुके हैं।” टिल्लू के इस कथन के साथ नाटक 'गज, फुट, इंच' का समाहार हुआ और दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से अभिनेताओं का उत्साहवर्धन किया। 

हिन्दू कॉलेज में हिंदी नाट्य संस्था ‘अभिरंग’ द्वारा नाटक प्रसिद्ध व्यंग्यकार के पी सक्सेना के नाटक का मंचन किया गया। ‘गज, फुट, इंच’ शीर्षक से मंचित इस नाटक में भारतीय समाज में धन कमाने की लोभी प्रवृत्ति के कारण व्यक्तित्व के दमन पर व्यंग्य किया गया है। 

नाटक में दिव्यांश प्रताप सिंह द्वारा पोखरमल, दृष्टि शर्मा द्वारा गुल्लो, कृतिका द्वारा जुगनी, आयुष मिश्र द्वारा टिल्लू, मोहित द्वारा युवक, श्रुति नायक द्वारा माँ, भानु प्रताप सिंह द्वारा साईदास का अभिनय दर्शकों ने बेहद पसंद किया। दिव्यांश द्वारा पोखरमल की भूमिका में स्थानीय मुहावरों में संवाद अदायगी तथा टिल्लू की भूमिका में आयुष मिश्र के आंगिक अभिनय को दर्शकों ने लगातार तालियाँ बजाकर सराहना की। 

नेपथ्य में लोकेश, जूही शर्मा, चंचल, रितिका शर्मा, अजय, वज्रांग और आरिश ने विभिन्न कार्यों द्वारा मंचन में सहयोग दिया। अभिरंग के परामर्शदाता डॉ. पल्लव ने अंत में अभिनेताओं का परिचय देते हुए कहा कि रंगमंच की गतिविधि युवाओं के व्यक्तित्व को बहुआयामी बनाती है और इससे उन्हें न केवल भावी जीवन में मदद मिलती है अपितु वे स्वयं भी बेहतर मनुष्य बन पाते हैं। उन्होंने अभिरंग के उद्देश्यों और संकल्पों के बारे में कहा कि नयी पीढ़ी में सामूहिकता और सामुदायिकता के लिए इस तरह की गतिविधियाँ सदैव उपयोगी रहेंगी। 

नाटक के प्रारम्भ में रितिका शर्मा ने नाटक की विषय वस्तु तथा नाटककार का परिचय दिया। अभिरंग के छात्र संयोजक लोकेश ने आभार ज्ञापन किया। हिन्दू कॉलेज के सभागार में इस अवसर पर हिंदी विभाग के अध्यक्ष अभय रंजन, आचार्य रचना सिंह, संस्कृत विभाग के डॉ. विजय गर्ग, डॉ. जगमोहन, पुस्तकालयाध्यक्ष संजीव शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे। 

हिन्दू कॉलेज में नाटक 'गज फुट इंच' का मंचन

हाल ही में

प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ संगोष्ठी संपन्न, युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच, तेलंगाना

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास)…

नदलेस ने की अनामिका सिंह अना के नवगीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के दिन’ पर परिचर्चा

दिल्ली। नव दलित लेखक संघ ने अनामिका सिंह…

अश्विनी कुमार दुबे के कहानी संग्रह ‘आख़िरी ख़्वाहिश’ के लोकार्पण एवं समकालीन कथा साहित्य पर चर्चा

  बेहतर आदमी तो समाज और साहित्य के…

रचनाओं को परिष्कृत करने के लिए उन पर चर्चा ज़रूरी—अश्विनी कुमार दुबे

  क्षितिज साहित्य संस्था द्वारा होली…

पुनीता जैन को ‘श्री प्रभाकर श्रोत्रिय स्मृति आलोचना सम्मान’

  16 मार्च 2024 को मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा…

अन्य समाचार