गुड़िया रानी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता महेन्द्र देवांगन माटी15 Jul 2020 (अंक: 160, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
(सार छंद)
छमछम करती गुड़िया रानी, खेले छपछप पानी।
उछल कूद वह करती रहती, डाँटे उसको नानी॥
बस्ता लेकर जाती शाला, ए बी सी डी पढ़ती।
कभी बनाती चित्र अनोखे, कभी मूर्ति को गढ़ती॥
साफ़ सफ़ाई रखती अच्छी, कचरा पास न फेंके।
कूड़ा कर्कट आग लगाकर, हाथ पैर को सेंके॥
सबकी प्यारी गुड़िया रानी, दिनभर शोर मचाती।
खेलकूद में अव्वल रहती, सबको नाच नचाती॥
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