हे प्रियतम
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु मानोशी चैटर्जी23 May 2017
हे प्रियतम
अद्भुत छवि बन
सुन्दरतम
बसे हो तुम
मन मन्दिर में
आराध्य बन
भ्रमर जैसे
पागल बन ढूँढू
मैं पुष्पवन
तुम झरना
मैं इन्द्रधनुष के
रंगीन कण
चंचलता मैं
ज्यों अल्हड़ लहर
सागर तुम
तुम विशाल
अनंत युग जैसे
मैं एक क्षण
हो तरुवर
अडिग धीर स्थिर
तो मैं पवन
जैसे ललाट
और कोरी बिन्दिया
सजे चन्दन
हे प्रियतम....
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