पथ चल पथ चल
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता सनी गंगवार 'गुरु'15 Oct 2020 (अंक: 167, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
पथ चल पथ चल होकर निडर
आगे क्या होगा मत डर
क्या है तेरी क़िस्मत में देख मत
जो तू चाहता है उसे जाने दे मत
पथ चल पथ चल होकर निडर
बिन डर के कर्म कर
उड़ जा तू ऊँचाइयों पर
फिर तू देख न मुड़ कर
पथ चल पथ चल होकर निडर
तू हो न निराश फिर
लगा बाज़ी तू न हार फिर
कर मुक़म्मल मैदान फिर
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