स्पर्श (ज्योत्स्ना ’प्रदीप’)
काव्य साहित्य | कविता-मुक्तक ज्योत्स्ना 'प्रदीप'29 Apr 2014
रात्रि के हल्के स्पर्श से
झुका के माथ
पौधा सो गया
मानो कोई अनाथ !
सपने में लिये
माँ का हाथ।
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