बसंत - मंजु महिमा भटनागर
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु मंजु महिमा भटनागर6 Feb 2015
1
मुस्काए फूल,
हवा लगी बौराने,
देख बसंत
2
धरती ओढ़े,
बासंती बूटी कढ़ी
धानी चूनर
3
ऋतुराज ने,
बाँधी पीली पगड़ी,
रीझी धरती
4
अमलतास
तपता देता पर,
रंग बासंती
5
मन भंवरा
कली बनी फुलवा
निहारे हौले
6
ओढ़े बसंत
धूप का उत्तरीय
मोहित धरा
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