महका गेंदा
काव्य साहित्य | कविता-ताँका मंजु महिमा भटनागर6 Feb 2015
महका गेंदा,
गदराई सरसों,
आया बसंत।
बाँधे पीली पगड़ी,
होके हवा-सवार॥
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प्रीति अग्रवाल 2022/01/15 03:51 AM
बहुत सुंदर!