चंदा मामा, चंदा मामा
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता प्रभाकर पाण्डेय31 May 2008
चंदा मामा, चंदा मामा,
मेरे पास आओ ना,
मुझे और मेरी बहना को,
हवा में सैर कराओ ना,
चंदा मामा, चंदा मामा,
मेरे पास आओ ना।१।
कभी छोटे कभी बड़े होते,
कभी दिखते कभी छिपते,
कभी-कभी दिन में आकर,
मेरा मन बहलाओ ना,
चंदा मामा, चंदा मामा,
मेरे पास आओ ना।२।
हलवा और पूड़ी ले आना,
तारों को भी साथ ले आना,
आँखें बड़ी-बड़ी करके,
हम बच्चों को हँसाओ ना,
चंदा मामा, चंदा मामा,
मेरे पास आओ ना।३।
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