कण्डक्टर
कथा साहित्य | लघुकथा बृजमोहन गौड़4 May 2015
खचाखच भरी बस में खड़े होने तक को जगह न थी, जैसे-तैसे मंज़िल तक पहुँचने की धुन में लोग खड़े, बैठे जैसे भी बन रहा था यात्रा कर रहे थे।
ऐसे में कण्डक्टर ने जेब से सिगरेट निकाली व धुएँ का एक छल्ला उछाल दिया, जो बस में लिखी "धूम्रपान निषेध है" की चेतावनी से जा टकराया।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
दोहे
कविता
लघुकथा
कहानी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं