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डेटिंग साइट्स का बढ़ता प्रदूषण

अपनी प्रेमिका श्रद्धा के 35 टुकड़े करने वाला आफ़ताब देश भर में युवाओं का खलनायक बन गया है। चारों तरफ़ उसकी निंदा हो रही है। ऐसा माना जा रहा है कि आफ़ताब ने जो कृत्य किया है, उसके पीछे एक ऐसा ऐप है, जो इस तरह की प्रवृत्ति को बढ़ाने का काम करता है। यह एक डेटिंग ऐप है। दिल्ली पुलिस ने जाँच में आफ़ताब की प्रोफ़ाइल में इस डेटिंग ऐप ‘बम्बल’ का ज़िक्र है। यह एप्स और वेबसाइट्स ऑनलाइन व्यभिचार करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इतना ही नहीं यह वेबसाइट्स उपभोक्ता के लिए पार्टनर की भी व्यवस्था कर देती है। 

हमारे देश में इस तरह के ऐप का प्रवेश 2014 में ही हो गया था। इंटरनेट से जुड़े इस ऐप के आज लाखों व्यसनी हमारे देश में हैं। लोग इसके पीछे अपना क़ीमती समय बरबाद करते देखे गए हैं। यही नहीं, इसके लिए काफ़ी धन भी ख़र्च करते हैं। इन्हीं ऐप में से एक है ‘बम्बल’। इस मोबाइल डेटिंग एप्लिकेशन पर लोग घंटों तक अपना समय देते हैं। यहाँ आकर वे अपना मनचाहे पात्र की तलाश करते हैं। डेटिंग साइट, मेट्रोमोनियल साइट ओर इरोटिक साइट आदि एक ही वेवलेंथ पर डेवलप हुई हैं। सभी में फ़र्ज़ी प्रोफ़ाइल की भरमार है। इसमें रजिस्ट्रेशन मुफ़्त में होता है। कुछ साइट्स पर किसी से सम्पर्क करना होता है, तो उसके लिए राशि का भुगतान करना होता है। 

इस समय देश भर का खलनायक आफ़ताब ने डेटिंग एप्लिकेशन ‘बम्बल’ के माध्यम से अन्य युवतियों के सम्पर्क में था। जाँच में पता चला है कि जब उसके घर के फ़्रिज में श्रद्धा का शव टुकड़ों में रखा था, तब भी वह ‘बम्बल’ के माध्यम से सम्पर्क में आई युवतियाँ उससे मिलने आती थीं। आफ़ताब को डेटिंग एप्लिकेशन का नशा था। नितांत अपरिचित लोगों के साथ हर तरह की सुविधाएँ देने का प्रलोभन देने वाली ये डेटिंग साइट्स में कोई अपना मूल परिचय देना नहीं चाहता। ऐसी साइट्स यह भी ख़ुलासा करती हैं कि हम अनजान लोगों के साथ अंतरंग सम्बन्धों को प्रोत्साहन नहीं देते। अनजाने लोगों से सम्पर्क करने के पहले इनसे सावधान रहें, इस तरह की बातें शुरूआत में एग्रीमेंट में कही जाती हे। ये साइट्स अलग से चैट रूम की व्यवस्था भी कर देती है। 

डेटिंग, यह हमारी भारतीय संस्कृति का विषय नहीं है। कामचलाऊ फ़्रेंडिशिप, वन-साइट स्टैंड आदि विकृति फैलाने वाली प्रवृत्तियाँ हैं। लोग मेट्रोमोनियल साइट्स पर भी अपनी फ़र्ज़ी तस्वीर और जानकारी देकर लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं। शुरूआत में यह माना जा रहा था कि लोग अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए ही इस तरह की साइट्स में जाते हैं। परन्तु हक़ीक़त यह है कि अधिकांश लोग ऑनलाइन पार्टनर की तलाश करते हैं। जब दो अनजाने इस साइट में मिलते हैं, तो दोनों ही अपना परिचय नहीं देते। यहाँ तक कि नाम भी ग़लत बताते हैं। जबकि यह साइट्स काग़ज़ों पर अपना उद्देश्य यह बताती हैं कि यह साइट्स लोगों के स्वस्थ मनोरंजन के लिए है। इसके अलावा यह साइट्स प्रेम सम्बन्ध या विवाह के बाद होने वाले तनावों को दूर करने में सहायता करने का दावा भी करती है। किन्तु यह सब एक औपचारिकता ही है। आजकल ये साइट्स अपनी कुंठित भावनाओं को व्यक्त करने और पार्टनर तलाशने का साधन बन गए हैं। डेटिंग हर समय सभी के लिए ख़राब होती है, यह कहना ग़लत होगा। परन्तु डेटिंग ऐप को डिज़ाइन करने वाले यह अच्छी तरह से जानते हैं कि इस साइट पर आने वाले आख़िर चाहते क्या हैं? इसके लिए वे तगड़ा चार्ज भी करते हैं, जिसका भुगतान करने के लिए साइट पर आने वाले ख़ुशी-ख़ुशी करते हैं। डेटिंग ऐप काफ़ी समझदारी से तैयार की जाती हैं। वे लोगों की चाहतों को भी अच्छी तरह से समझती हैं। सर्च के आँकड़े बताते हैं कि इस साइट में आने वाले बुज़ुर्ग युवतियों की तलाश करते हैं और युवा विधवा महिलाओं या बड़ी उम्र की सिंगल रहने वाली महिलाओं की तलाश करते हैं। 

एक मान्यता यह है कि लाइफ़ पार्टनर को तलाशने के लिए डेटिंग साइट्स बहुत अच्छा माध्यम है। मेट्रोमोनियल साइट के बजाए यहाँ खुले विचारों के लोग अधिक आते हैं। विधुर लोगों के लिए यह दूसरी बार जीवनसाथी चुनने का अवसर देती हैं ये साइट्स। इसके बाद भी इसका दूसरा पहलू यही है कि यह लोगों की कुत्सित भावनाओं को उभारकर उसे प्रोत्साहन देने का काम भी करती हैं। अनजाने लोगों के साथ अंतरंग बातचीत करने में इंसान ख़ुद को अधिक सुरक्षित महसूस करता है। इससे बात करते हुए वह अपनी मानसिक विकृति को भी सामने लाकर संतुष्ट होता है। कई बार इस तरह की साइट से अच्छी मित्रता भी हो जाती है, पर ऐसा कम ही हो पाता है। कुल मिलाकर ये साइट लोगों के भीतर की उठने वाली कुत्सित भावनाओं की तरंगों को शांत करने का काम करती हैं। 

नेटफ़्लिक्स में एक डाक्यूमेंट्री ‘स्वींडलर’ है, जिसमें ऑनलाइन डेटिंग का स्याह पहलू दिखाया गया है। इसके ख़तरनाक पहलू पर भी बात रखी गई है। आफ़ताब जैसे लोग डेटिंग ऐप का लाभ उठाकर अपने भीतर के गंदे विचारों को अंजाम देते हैं। इसके लिए हमें सचेत होना होगा। देश में ऐसी साइट्स पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। लोगों का ध्यान कम से कम इस ओर जाए, इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। इस समय देश में एक ऐसे माहौल की ज़रूरत है, जिसमें इंसान अकेलपन में इस तरह की साइट से बचे। उस पर बुरे विचार हावी न हों। हर कोई उदार हो, किसी की भी भलाई करने में कोई पीछे न रहे। ऐसा तब सम्भव है, जब इंसान ही इंसान के भीतर के इंसान की पहचान कर ले। 

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