अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

होली - एक रंग 


“रंगों से भरी इस दुनियां में, 
रंग रंगीला त्यौहार है होली,
गिले शिकवे भुलाकर खुशियाँ
मनाने का त्यौहार है होली।"
                     - करनिका 

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो अब विश्व भर में मनाया  जाने लगा है। हर त्योहार की अपनी  एक कहानी  होती  है, जो धार्मिक मान्यताओं पर अधारित होती है। 

होली के पीछे भी एक कहानी है। 

कहानी – 

एक हिरण्यकश्यप नाम का राजा था जो ख़ुद को सबसे अधिक बलवान समझता था। वह देवताओं से घृणा करता था और उसे देवताओं के भगवान विष्णु  का नाम सुनना भी पसंद नहीं था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। यह बात हिरण्यकश्यप  को बिलकुल पसंद नहीं थी। वह कई तरह से अपने पुत्र को डराता था और भगवान विष्णु की उपासना करने से रोकता था। पर प्रह्लाद एक नहीं सुनता, वह अपने भगवान की भक्ति में लीन रहता था। इस सबसे परेशान होकर एक दिन हिरण्यकश्यप ने एक योजना बनाई । 

हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि आग पर उसे विजय प्राप्त थी। उसे अग्नि जला नहीं सकती थी

योजना के अनुसार उसने अपनी बहन होलिका को अग्नि की वेदी पर प्रह्लाद को लेकर बैठने को कहा। प्रह्लाद अपनी बुआ के साथ वेदी पर बैठ गया और अपने भगवान की भक्ति में लीन हो गया। 

तभी अचानक होलिका जलने लगी और आकाशवाणी हुई, जिसके अनुसार होलिका को याद दिलाया गया कि अगर वह अपने वरदान का दुरुपयोग करेगी, तब वह खु।ख़ुद जल कर राख हो जाएगी और ऐसा ही हुआ। प्रह्लाद का अग्नि कुछ नहीं बिगाड़ पाई और होलिका जल कर भस्म हो गई। 

इसी तरह प्रजा ने हर्षोल्लास से उस दिन ख़ुशियाँ मनाईं और आज तक उस दिन को होलिका दहन के नाम से मनाया जाता है और अगले दिन रंगों से इस दिन को मनाया जाता है। 

होली का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में इसे अधिक उत्साह से मनाया जाता है। कई राज्यों में फूलों की होली भी मनाई जाती है, और गाने बजाने के साथ सभी एक-दूसरे से मिलते हैं।

"बुरा ना मानों होली है"!

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

राजा का जन्मदिन 
|

  प्यारे बच्चों कैसे हैं आप? आपको पता…

सूर्य का रहस्य
|

इस लेख को लिखने का मेरा उद्देश्य पाठकों…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

किशोर साहित्य आलेख

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं