कारोबार
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता पवन निषाद1 May 2025 (अंक: 276, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
दिल्ली से सौग़ात लेकर मंत्री जी
चले है गाँव की तरफ़
गाँव में सजाया गया मंच
जुट गई लोगों की भीड़
भाषण शुरू हुआ
भीड़ से एक युवक बोला
माननीय . . . यहाँ किसी के पास कारोबार नहीं हैं
मंत्री समझे कार और बार (मधुशाला)
उत्सुकता से बोले
अगला चुनाव जीतने के बाद
सबके घर कार होगी
बाक़ी बार का काम कल से
चौराहे पर शुरू!
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