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शहद का छत्ता

कहानी: शहद का छत्ता
लेखिका: योगिता यादव
लिंक: https://suchetaa.com/home/news/chhatta33

‘शहद का छत्ता’ पहले पहल शीर्षक पढ़ते ही मन में अनेक बिम्ब उभर आए। परंपरा से हटकर एक अलग कहानी। स्त्रियाँ सिर्फ़ पुरुषों से असुरक्षित हैं इस सोच के दायरे को तोड़ती हुई कहानी। 

योगिता जी ने कहानी को एक नई दिशा दी है—न स्त्रीवादी न पुरुषवादी बल्कि सत्ता के गलियारे में छेद किया है। ऊँची सत्ता पर आसीन लोगों को लगता है वे मालिक हैं, सारा अधिकार उन्हीं के पास है। सत्ता पर आसीन स्त्रियों में जब ये भाव मैं देखती हूँ तो ऐसी स्त्रियाँ मुझे पुरुष होती स्त्रियाँ लगती हैं। क्योंकि अधिकांशतः सनातन से हम देखते आ रहे हैं कि अधिकार भाव पुरुष में ज़्यादा होता है। हम सभी ने क़रीब से अपने माता-पिता में यह देखा है। ख़ैर मैं इस कहानी को स्त्री पुरुष से ऊपर उठकर देखना चाहती हूँ। मानव समाज (स्त्री पुरुष) को अपनी सहमति और असहमति देने का पूरा अधिकार है। सत्ता में बैठे किसी व्यक्ति (स्त्री पुरुष) को ये अधिकार क़तई नहीं है कि वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कुछ करे। 

संगसार सीमा जी की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी , “पैट्रियार्की का मतलब कहीं भी पुरुष नहीं है वह एक प्रवृति या मनोदशा है जिसके ज़द में स्त्री या पुरुष समान रूप से आते हैं। सत्ता उसकी मुँहबोली बहन हो सकती है तो ज़ाहिर है जहाँ सत्ता है वहाँ पितृसत्ता भी होगी।” यही बात मैं कहना चाह रही हूँ। 

कहानी की जो श्रुति है उसे गालियाँ नहीं पसंद और मुझे लगता है किसी भी स्त्री को गालियाँ नहीं पसंद होंगी क्योंकि गालियाँ कहीं न कहीं पितृसत्तात्मक होती हैं। मुझे अपनी कहानी ‘स्त्री माने क्या’ की एक पंक्ति याद आ रही , “हर गाली स्त्री को ही लगती है क्योंकि वह देह को छूती हुई मन को छीलती है।”

यह कहानी संघर्ष के रास्ते में आई छोटी-छोटी बातों की ओर ध्यान दिलाती है जिन्हें अक़्सर हम इग्नोर कर देते हैं। शहद के छत्ते को इस रूप में देखना कल्पना की एक नई दिशा है। 

जितना सघन शहद का छत्ता होता है उतनी ही सघनता से यह कहानी बुनी है योगिता जी ने। कहानी की कसावट कहीं भी ढीली नहीं पड़ती शहद के छत्ते की तरह बाँधे रखती है पाठक के मन को। यह कहानी ऐंद्रिय अनुभवों के आधार पर निर्मित होती प्रतीत हो रही। लीक से हट कर नई दिशा देती हुई इस कहानी के लिए योगिता जी को ख़ूब बधाई। 

सरिता अंजनी सरस
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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टिप्पणियाँ

Shiv 2022/11/08 11:18 PM

अति सुन्दर प्रस्तुति

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