अम्बरी
काव्य साहित्य | कविता हरबीर लुधियानवी15 Sep 2019
लोरी
(३ अगस्त, २०१९ को अपनी पोती के जन्म होने पर लिखी गई)
आई है किन अम्बरों से अम्बरी
अम्बरों की मलिका धरती की परी
चाँदनी के ले के चन्द मामे से पंख
धरती माता के है आँचल पर उतरी
झूला सूरज ने बनाया रिश्मों का
बन के ऊषा है हमारे घर उतरी
रेशमी रुख़ है तो कलियों जैसे होंठ
मख़्मली हैं अंग खोपे की गरी
रंग चाँदी जैसा सीमी सीमी है
सोने जैसी है दहक ख़ालिस ख़री
छोड़ता है ताब हीरों जैसी तन
नयन नील मणि यह है नीलम परी
सन्दली है नन्हे अंगों की महक
जान नन्ही सी हमें प्यारी ख़री
नीमबाज़ है खोले नन्हे नयनों को
फ़िक्र से है मुक्त चिन्ता से बरी
करके तय ’हरबीर’ तारों के जहाँ
कहकशाँ कौन सी से आई अम्बरी
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं