अँधेरा अच्छा है
काव्य साहित्य | कविता अनन्या पांडेय1 Feb 2021 (अंक: 174, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
ये अँधेरा डराता नहीं,
बल्कि एक उम्मीद लाता है,
आने वाले उजाले की।
और,
ये शांति,
मुझे सुकून नहीं देती,
बल्कि,
बहुत, बहुत डराती है,
आने वाले तूफ़ान से।
ये अँधेरा, मुझे दिखाता है कि
दुनिया की सच्चाई क्या है,
ये मुझे बताता है और सिखाता भी है,
डरो नहीं, विश्वास करो, इंतज़ार करो,
उजाला बस आने ही वाला है।
और,
ये शांति,
मुझे ठगती है, मुझे छलती है,
मुझसे सच्चाई छुपाती है।
मुझे दुनिया का झूठा स्वरूप दिखाती है,
और जो होता ही नहीं,
उस पर यक़ीन दिलाती है,
कि सब ठीक है।
ये अँधेरा डरावना होकर भी,
सच्चा है, मुझे शांति देता है।
और, ये शांति,
शांत होकर भी,
भयानक है।
ये मुझे बेचैन करती है,
और अनजाने डर से डराती है।
अँधेरा - सच्चा और अच्छा है,
और,
शांति - एक छलावा है,
बस दो पल का दिखावा है।
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