बाहर जाकर खेलो
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता संजीव ठाकुर15 Oct 2019
खेल रहा है बाहर पिंटू
तुम भी घर से निकलो चिंटू!
बाहर जाओ, दौड़ो, कूदो
क्या टीवी से चिपके हो?
कंप्यूटर से खेल रहे तुम
पके आम से पिचके हो!
बाहर खेल रहे हैं बच्चे
तुम उन सबसे छिपके हो?
बाहर जाकर खेलो चिंटू
बाहर खेल रहा है पिंटू!
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