बन्धन
काव्य साहित्य | कविता-मुक्तक प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'1 Aug 2019
बाँध लिया है
धरती, समुद्र, गगन
भूमि, जल, पवन
जकड़े है अंतः से
बँधा हुआ है मन
बँध गये चरण
आज वह स्वयं
बँध गया बन्धन।
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