बसंत
काव्य साहित्य | कविता भानु प्रताप सिंह15 Jun 2019
जब आमों में बौर लगे
जब कलियाँ कोयल पिक सुने
जब साँझ हवा के झोंके आएँ
झीनी चाँदनी अमृत बरसाए
तब समझो वह आता है
नव बसंत कहलाता है..॥
वसुंधरा के वक्षों पर
जब सरसों के पीले फूल खिलें
दूर कहीं दुनियां से जब
दो प्रेमी के हृदय मिलें
मादकता अँगड़ाई लेकर
मौसम को जब ललचाता है
तब समझो वह आता है
नव बसंत कहलाता है॥
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