बेचैनी
काव्य साहित्य | कविता डॉ. कनिका वर्मा5 Nov 2017
ख़ुशनुमा से चार पल रहेंगे
ज़िंदा यादों में,
बदलता रहेगा वक़्त
इन सुहानी वादियों में,
भीगे जिस्म और
भीगे होठों की कसक नहीं बदलेगी,
तेरे शब्दों का साया
साथ नहीं छोड़ेगा,
तू है या नहीं
दिल पूछता रहेगा,
दिल…
अपनी भागती धड़कनों से
मीठी-मीठी ग़लतियाँ दोहराएगा,
उबलती साँसों में
गरम लम्हों के –
एहसास सुलगाएगा,
तेरी रूह की मदहोशी में
बह कर भी ना किनारा आएगा।
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