चाय के प्याले में तूफ़ान
काव्य साहित्य | कविता सुधेश14 Apr 2014
एक हाथ में समोसा
दूसरे में गर्म चाय
चाय से उठती भाप
या कोई तूफ़ान
शब्दों के भूचाल के साथ
बहस जारी है
समाज समाजवाद सामाजिक न्याय पर
एक हाथ में समोसा
दूसरे में गर्म चाय
बहस में क्रान्ति शब्द आ गया
चाय के प्याले में तूफ़ान आ गया
चाय की चुस्की में था मीठा स्वाद
ज़बान पर समाजवाद
दूसरी चुस्की में
क्रान्ति की आहट
सामाजिक न्याय की सुगबुगाहट
धीरे धीरे चाय ठण्डी हुई
प्याले का तूफ़ान भी
बहसते बुद्धिजीवी
वातानुकूलित कारों में सवार
अपनी ख़्वाबगाहों में घुस गये।
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