चन्द आँसू, चन्द हँसी की फुहारें
काव्य साहित्य | कविता दीप कुमार15 Jul 2007
चन्द आँसू, चन्द हँसी की फुहारें
थोड़ा संघर्ष, यही तो जीवन है प्यारे
बनाओ अपनी मंज़िल एक, चुनो रास्ता कोई एक
चलो फिर उस पर बिना थके बिना हारे
यही तो जीवन है प्यारे...
मिलेंगे साथी राह में और भी बहुत से,
कट जाएगा सफ़र यूँ ही हँसते-हँसते
रोते-रुलाते उनके सहारे
यही तो जीवन है प्यारे...
जिस रूप में देखा वैसा पाया,
जैसा किया वैसा भोगा,
यौवन के मध्य में कटे वृक्ष सारे
आयेंगी लौट कर कहाँ से फिर बहारें
यही तो जीवन है प्यारे
जो हुआ छोड़ो, नये क्षितिज की ओर देखो अब
बाँहे फैलाये वह बुला रहा, उठ मिल जा रे
यही तो जीवन है प्यारे
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