कोरोना के बाद
काव्य साहित्य | कविता डॉ. रजत रानी मीनू1 Oct 2020 (अंक: 166, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
बहुत दिनों के बाद
घर की घंटी
बजी है
किसी की आमद
सुनाई दी है
उसकी दस्तक ने
उत्सुकता पैदा की है
अपने घर आने की
दावत दी है
टेबल पर चाय सजी है।
बहुत दिनों के बाद
चिड़ियाँ चहकी हैं
बालकनी में,
बहुत दिनों के बाद
सड़क आबाद हुई हैं
बाजार सजे हैं
धूप खिली है
अख़बार के पन्ने खुले हैं।
बहुत दिनों के बाद
रसोई में नान वेज की
ख़ुशबू फैली है,
कुत्तों ने पूँछ हिलाई है
बिल्ली की म्याऊँ
सुनाई दी है,
दो सखियाँ
गले मिली हैं
दो दोस्तों ने
हाथ मिलाया है
चेहरे पर
मुस्कान बिखरी है।
बहुत दिनों के बाद
बच्चों ने आँख मिचौली खेली है
पार्क में बाल उछली है।
बहुत दिनों के बाद
स्कूल की घंटी
बजी है
ग़रीब का चूल्हा
हँसा है,
बहुत दिनों के बाद
नुक्कड़ चौराहों पर
ठहाके गूँजे हैं
बहुत दिनों के बाद॥
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