दीवाली
काव्य साहित्य | कविता डॉ. विक्रम सिंह ठाकुर4 Jan 2016
लो फिर दीवाली आई
राम वनवास काट अयोध्या वापस आये
फिर घरों में दीप जले
फिर मिठाइयाँ बँटी
फिर ख़ुशियाँ मनाई गयीं
फिर लाये गए पटाखे
और साथ लाये गए
उन मासूम बच्चों के जिस्म
जो पटाखे बनाते बनाते
ख़ुद बारूद हो गए
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