दुआ में तेरी असर हो कैसे
शायरी | ग़ज़ल मानोशी चैटर्जी3 May 2012
दुआ में तेरी असर हो कैसे
सिर्फ़ फूलों का शहर हो कैसे
आप आ तो गये ज़िन्दगी में
साथ ये ज़िन्दगी बसर हो कैसे
बात जज़्बात की होती नहीं बस
रेत पर खड़ा ये घर हो कैसे
ये मुहब्बत है कोई खेल नहीं
इतना आसाँ भी सफ़र हो कैसे
ढूँढते ही रहे चारों तरफ़ हम
दिल में जो छुपा, उधर हो कैसे
आप से हम ख़फ़ा तो नहीं हैं
दोस्ती ऐ ‘दोस्त’ मगर हो कैसे
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