एक पिता की वेदना
काव्य साहित्य | कविता किशन नेगी 'एकांत'1 Oct 2019
पत्नी को
मुझसे शिकायत
माँ को
मुझसे शिकायत
मगर मैं किससे शिकायत करूँ
पत्नी को
मुझसे उम्मीदें
बच्चों को
मुझसे उम्मीदें
माँ को
मुझसे उम्मीदें
मगर मैं किससे उम्मीद करूँ
पत्नी को
मुझसे नाराज़गी
बच्चों को
मुझसे नाराज़गी
माँ को
मुझसे नाराज़गी
मगर मैं किससे नाराज़गी व्यक्त करूँ
पत्नी दुखी
तो मैं दुखी
बच्चे दुखी
तो मैं दुखी
माँ दुखी
तो मैं दुखी
मगर मैं दुखी तो कोई दुखी नहीं
सबके सुख-दुःख मैं बाँटूँ
मेरा बाँटे न कोय
इस सफ़र में सब मतलब के यार हैं
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