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हर एक दिन - मुक्तक

१.
चलते चलो चलते चलो हर एक दिन
आगे बढ़ो सीधे चलो हर एक दिन
कितनी भी दूरी हो तुम्हारे लक्ष्य तक
फ़ासला घटेगा यदि चलो हर एक दिन।
२.
सुबह को सूरज निकलता हर एक दिन
गोधूलि में वही ढलता हर एक दिन
तुम भी सूरज बन कर चमको सदा ही
उदित रवि यही कहता है हर एक दिन।
३.
आदमी पहलू बदलता हर एक दिन
नित्य ज्यों कपड़े बदलता हर एक दिन
यहाँ परिवर्तन न रोके से रुकेगा
संसार भी यों बदलता हर एक दिन।

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