इन छुट्टियों में माँ
काव्य साहित्य | कविता आमित्या15 Jul 2020 (अंक: 160, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
माँ तुम घर पर ही रहना
तभी तो तुमसे मिल पाऊँगी मैं,
इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ वीडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
बीत गयी मुश्किल घड़ियाँ
पर टली नहीं ख़तरे की कड़ियाँ
महामारी की इस जंग में
सरकार का साथ निभाऊँगी मैं ,
इसलिए इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ विडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
गर्मियों का आया मौसम
लेकर साथ आम और याद
तुम्हारे हाथ का खाना
यादों में फिर से खाऊँगी मैं,
क्योंकि इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ विडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
बच्चे करते हैं याद तुम्हें
उनको कहानी सुनाकर
समझा देना माँ
रात में फोन घुमाऊँगी मैं,
क्योंकि इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ वीडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
अच्छा हुआ ये सब पहले आया,
कोरोना का क़हर बाद में छाया
वरना तुम्हारी ख़बर भी नहीं मिल पाती माँ
पर अभी तो तुम्हे देख-सुन पाऊँगी मैं,
हाँ, इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ विडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
शायद घर फैला हो
इन्टरनेट का भी झमेला हो
थोड़े और गुण सिखा देना माँ
घर बेहतर सँभाल पाऊँगी मैं,
क्योंकि इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ विडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
हूँ तो मैं तुम्हारी छाया
तुमसे मैंने हर कण है पाया
बचपन की यादों के सागर में
फिर से गोते लगाऊँगी मैं,
इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ विडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
घर के बग़ीचे की
ओस भरी घास पर टहलना
साथ में पौधों और जानवरों को पानी देना माँ
इस बार नहीं कर पाऊँगी मैं,
क्योकि इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ विडियो कॉल पर आऊँगी मैं।
पर तुम परेशान मत होना माँ
अगले साल दो चक्कर लगाऊँगी मैं
मगर इन छुट्टियों में माँ
सिर्फ़ विडियो कॉल पर आऊँगी मैं
आमित्या
११ जून २०२०
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