इंतज़ाम
कथा साहित्य | लघुकथा दिनेश शर्मा15 Nov 2020 (अंक: 169, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
आज फिर सेठ जी के सीने में बहुत ज़्यादा दर्द हुआ। जैसे-तैसे वह हॉस्पिटल पहुँचे। डॉक्टर से बात की। डॉक्टर ने कह दिया, आपको तुरंत ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। उन्होंने तुरंत पैसे जमा करवाए और अगले दिन की तारीख़ ऑपरेशन के लिए उन्हें दे दी गई। हॉस्पिटल से बाहर निकलते ही जैसे ही उन्होंने फोन करके बेटे को बताया तो बेटा झल्ला पड़ा और बोला, "आप इतना बड़ा निर्णय ख़ुद कैसे ले सकते हैं? इतने सारे इंतज़ाम कौन करेगा? मैं ऑफ़िस सँभालूँ या आपको सँभालूँ?
फोन पर पीछे से बहू की आवाज़ आ रही थी, "यह बूढ़ा हमें लेकर के मरेगा, ना जिएगा, ना जीने देगा।"
बेटे ने फिर कहा, "आप एक काम कीजिए जल्दी से वापस आ जाइए, जब इंतजाम हो जायेंगे तो ऑपरेशन करवा लेंगे । आप ऐसा कैसे कर सकते हो !" दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई । बेटे ने फिर कहा, "सुना आपने! सुना आपने!"
पर दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आ रही थी। सेठ जी अब नहीं रहे थे।
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