जिजीविषा
काव्य साहित्य | कविता प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'1 Aug 2019
बनूँ चिड़िया
छूटे न सृजन
रुके न जीवन
चुनूँ तिनके
ले चोंच में आकाश
उड़ जाऊँ
बना लूँ नीड़
देखता रहूँ विजन वन को
सुनता रहूँ
साथी पंछियों के आलाप
गाऊँ नव गीत मधुर
बुलाऊँ प्रिय
वसंत को सोल्लास।
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