कल अपना भी दौर आयेगा
काव्य साहित्य | कविता नीलेश मालवीय ’नीलकंठ’1 Dec 2020 (अंक: 170, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
मेरे हालात फटेहाल हैं तो क्या
ख़ाली जेब में बस रुमाल है तो क्या,
आज मेहनत की ख़ामोशी है
कल कामयाबी का शोर आएगा
कल अपना भी दौर आयेगा।
तुमने छोड़ दिया तो क्या
दिल मेरा तोड़ दिया तो क्या,
आज तुम मुझसे दूर गई हो
कल मेरे पास कोई और आयेगा
कल अपना भी दौर आयेगा।
तुमने मुझे परेशान किया तो क्या
मेरा थोड़ा अपमान किया तो क्या,
आज समुंदर की गहराई है
कल सुनामी का हिलोर आएगा
कल अपना भी दौर आएगा।
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