कविता
काव्य साहित्य | कविता डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव28 Jul 2007
अनुभूति करने की कवि में है क्षमता,
व्यक्त करे वह बनती है कविता;
पानी में ही यदि हो दरिद्रता,
कैसे बहेगी सुरसरि सी सरिता।
वारि बहन ही सरिता नहीं है,
शब्द चयन ही कविता नहीं है;
नाले भी होते हैं लाभदायक,
तुकबन्दियाँ मधुर गाने लायक।
पर्वत उदयन सागर विलयन,
नद्यी का प्राकृतिक जीवन,
स्रोत भावना उमड़े जब मन,
प्रगटे कविता तुरन्त उस क्षण।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
"पहर को “पिघलना” नहीं सिखाया तुमने
कविता | पूनम चन्द्रा ’मनु’सदियों से एक करवट ही बैठा है ... बस बर्फ…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}