मायूस न हो ऐ दिल
शायरी | ग़ज़ल देवमणि पांडेय3 May 2012
मायूस न हो ऐ दिल दुनिया के सताने से
रिश्ता तो मोहब्बत का निभता है निभाने से
ये प्यार है वो जज़्बा तासीर अजब जिसकी
मिलता है मज़ा इसमें घर बार लुटाने से
ख़ामोश निगाहों से रह रह के छलकता है
इक पल भी नहीं छुपता ये प्यार छुपाने से
हर रात की पलकों पर झालर है सितारों की
मिलता है हंसी तोहफ़ा चाहत के ख़ज़ाने से
आबाद हुआ दिल तो पलकों पे चमक छाई
दिखते हैं कहीं ज़्यादा अब ज़ख़्म छुपाने से
रस्मों को बदलने की ज़िद महँगी पड़ी लेकिन
जीने का मज़ा आया टकराके ज़माने से
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
कविता
पुस्तक समीक्षा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं