मौसम
काव्य साहित्य | कविता राहत कैरानवी1 Aug 2019
बदलता रहता है मौसम
हिंदुस्तान में इन दिनों -
मर्सियों का मौसम है!
जी हाँ, लिखे जा रहे हैं मर्सिये!
ज़मीन पर भी, आसमान पर भी
चारों ओर फैला है पानी ही पानी
आसमान का पानी ज़मीन पर
लेकिन ज़मीन का पानी पिया जा रहा है
जो दिखाएगा अपना रंग एक दिन
सूखकर झड़ गए और
ज़मीन में गड़ गये,
लाल फूलों के साथ मिलकर
हो जाएगा एक दिन लाल
जैसे होली का गुलाल
बरसों बाद खोदा जाएगा,
इसी धरती को जब
लाल रंग के यही अवशेष
स्वर्ण अक्षरों से रचित
किसी इतिहास के पन्नों में होंगे .....
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Amit Pandey 2019/07/23 06:03 PM
A mind blowing poetry. Loved it.