मौसम बदलने लगा
शायरी | ग़ज़ल नीना पॉल (स्वर्गीय)30 Jun 2012
वफ़ाओं का मौसम बदलने लगा
मुक़द्दर भी अब हाथ मलने लगा
तेरी ख़्वाहिशें दिल में हसरत लिए
पलकों पे सावन मचलने लगा
मिले हादसे मुझको हर मोड़ पर
सम्भलने से पहले फिसलने लगा
तेरी याद में खो गया इस क़दर
उम्मीदों का इक दीप जलने लगा
मिलने से पहले जुदाइयों का ग़म
पल-पल दिलों में ही पलने लगा
तुझे ढूँढता हूँ मैं यूँ दर -ब- दर
पैरों का छाला भी जलने लगा
दीवाना समझ लोग यूँ डर गए
हाथों में पत्थर उछलने लगा
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