मेरे देश की आवाज़
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ज्योति स्वामी ’रोशनी’1 Jan 2020 (अंक: 147, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
आज दिल की अपने बात कहने दे
तू मुझे सफ़ेद रहने दे
ना रंग धर्म का दे, ना जात का
ना बेमानी का, ना गुनाह का
ना हरा, ना नीला, ना केसरिया
क्या रंग होगा इन्साफ़ का?
साफ़ बहने दे पानी,
साफ़ खेत रहने दे।
ऐ हिंदुस्तानी, मुझे सफ़ेद रहने दे।
हर हिस्सा मुझे प्यारा, मैं भारत हूँ।
हर रंग हो जिसमें, वो इबारत हूँ।
मत कर मेरे जिस्मो-रूह के टुकड़े,
हर बोली-भाषा में रची कहावत हूँ।
सुकून हज़म होता बस,
झगड़ों से परहेज़ रहने दे।
हर हिन्दुस्तानी मुझे सफ़ेद रहने दे।
ना बुरके से शृंगार, ना साड़ी,
ना सिन्दूर का रंग डाल।
सफ़ेद पर सब रंग दिखते,
बस “धब्बे और दाग़”।
अपने-अपने तरीक़े से
सजाने को ना लड़,
बस हर-एक रहने दे।
हर हिन्दुस्तानी मुझे सफ़ेद रहने दे।
आज दिल की अपने बात कहने दे,
तू मुझे सफ़ेद रहने दे।
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